Wednesday 21/ 05/ 2025 

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अपराध

एसटीएफ ने 25 वर्ष से फरार 2 लाख ईनामी हत्यारोपी को दबोचा

पहचान छिपाकर झारखंड के जमशेदपुर में रह रहा था, एसटीएफ काफी समय से तलाश में जुटी थी
आईजी अपराध एवं कानून व्यवस्था भरणे ने दी जानकारी

रूद्रपुर। उत्तराखंड एसटीएफ ने पिछले 25 वर्ष से फरार 2 लाख के ईनामी हत्यारोपी सुरेश शर्मा को जमशेदपुर, झारखंड से गिरफ्रतार कर लिया। पकड़े गए ईनामी अपराधी सुरेश शर्मा की गिरफ्रतारी के संबंध में पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था नीलेश आनंद भरणे ने जानकारी देते हुए बताया गया कि एसटीएफ टीम ने पूर्व में प्राप्त तकनीकी तथा भौतिक सूचनाओं का वर्तमान में प्राप्त सूचनाओं से मिलान करते हुये अपने अथक प्रयास से उक्त अपराधी की पहचान स्थापित की। इसके बाद निरीक्षक अब्दुल कलाम के नेतृत्व में एसआई विद्यादत्त जोशी,एसआई नवनीत भण्डारी, हेड कांस्टेबल संजय कुमार, कांस्टेबल मोहन असवाल, जितेन्द्र एसटीएफ द्वारा अभियुक्त सुरेश शर्मा को जमशेदपुर झारखंड से गिरफ्रतार किया गया। उन्होंने बताया कि अभियुक्त सुरेश शर्मा पुत्र दयाराम शर्मा मूल निवासी बद्रीश आश्रय, नियर अंकुर गैस एजेंसी, लिसा डिपो रोड, आशुतोष नगर ऋषिकेश का वर्ष 1988 से क्वालिटी नाम से तीर्थनगरी बद्रीनाथ में एक रेस्टोरेन्ट था‌। वर्ष 1999 में तत्कालीन डीजीसी, क्रिमनल बालकृष्ण भट्टð, जो जनपद चमोली में तैनात थे जिनका सुरेश शर्मा से रेस्टोरेन्ट की भूमि को लेकर विवाद था जो बढ जाने के कारण सुरेश शर्मा ने 28 अप्रैल 1999 को बालकृण भट्ट की दिनदहाडे सरेआम चाकु से गोदकर हत्या कर दी। अपराधी सुरेश शर्मा घटना में मौके पर गिरफ्रतार हुआ परन्तु कुछ समय पश्चात उसे जमानत मिल गई। परन्तु जमानत के कुछ दिनो पश्चात ही उच्चतम कोर्ट ने उसकी जमानत खारिज कर दी गई। जिसके उपरान्त गिरफ्रतारी से बचने हेतु सुरेश शर्मा फरार हो गया। भरणे ने बताया कि एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह के निर्देशन में फरार अपराधी सुरेश शर्मा से सम्बन्धित फंगर प्रिन्ट, वाईस सैम्पल व अन्य दस्तावेजो का विशलेषण किया गया। जिससे प्राप्त नए तथ्यों का डिजीटल एवं भौतिक सत्यापन हेतु टीम को महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल एवं झारखंड भेजा गया। टीम ने एक संदिग्ध व्यक्ति को चिन्हित किया गया। जिसके पास मनोज जोशी पुत्र रामप्रसाद जोशी निवासी 24 परगना, पश्चिम बंगाल का आधार पहचान पत्र था चुकि अपराधी का 24 वर्ष पुराना फोटोग्राफ होने के कारण वर्तमान में चेहरे की मिलान करना सम्भव नही हो पा रहा था। टीम ने उक्त संदिग्ध के सम्बन्ध में सुरागरसी की गई एवं पूर्व में सुरेश शर्मा के कारागार चमोली से फिंगर प्रिन्ट प्राप्त कर उसको जमशेदपुर झारऽंड से गिरफ्रतार कर न्यायालय में प्रस्तुत कर ट्रांजिट रिमाण्ड प्राप्त कर उत्तराऽण्ड लाया गया। उन्होंने बताया कि पूछताछ में सुरेश शर्मा ने बताया कि उक्त अभियोग में 40 दिन के बाद जमानत पर छूटने के बाद मुंबई चला गया। मुझे पता चला कि जमानत खारिज हो गई है तो वहं घर वापस न जाकर कोलकाता चला गया। जहाें ठेली लगाकर खाना बनाने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद मैने कपड़े का व्यापार किया तथा लॉकडाउन के बाद से मैं एक मेटल ट्रेडिंग कंपनी का व्यवसाय कर रहा था जो की स्क्रैप का काम करती है। कम्पनी के काम से मै भारतवर्ष के अलग-अलग शहरो में भ्रमण करता रहता हॅू तथा इसी कार्य से जमशेदपुर आया था। जहॅा अपनी पहचान छिपाने के लिये मनीश शर्मा नाम रखा तथा उसके पश्चात मनोज जोशी के नाम से अपने दस्तावेज बना लिये। वर्तमान में मेरी एक पत्नी जिसका नाम रोमा जोशी जो पश्चिम बंगाल की रहने वाली है तथा दो पुत्र हैं । गिरफ्रतार करने वाली पुलिस टीम में निरीक्षक अबुल कलाम, एसटीएफ,एसआई विद्यादत्त जोशी,एसटीएफ,एसआई नवनीत भंडारी,हेड कांस्टेबल संजय कुमार,मोहन असवाल, जितेन्द्र कुमार,यादवेन्द्र बाजवा,एएसआई संजय मेहरोत्र,महेन्द्र सिंह,श्रवण कुमार,बृजेन्द्र चौहान,गोविन्द बल्लभ शामिल थे।

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