रुद्रपुर में मारुति सुजुकी मानेसर के अस्थाई और बर्खास्त मज़दूरों के दमन के खिलाफ श्रम भवन पर प्रदर्शन,हरियाणा सरकार को भेजा ज्ञापन

रुद्रपुर। मारुति सुजुकी मानेसर-गुड़गांव हरियाणा के अस्थाई और 2012 से बर्खास्त मज़दूरों के दमन, मारुति प्रबंधन,हरियाणा सरकार के लिए भेजा नापाक गठजोड़ समेत अन्य कई मुद्दों के खिलाफ मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान ने श्रम भवन पर प्रदर्शन कर सभा की। इस दौरान उप श्रम आयुक्त के माध्यम हरियाणा सरकार को ज्ञापन भेजा। इस मौके पर मासा के घटक संगठनों ने संयुक्त रूप से सिडकुल की विभिन्न यूनियनों ने भागीदारी की। हरियाणा सरकार को भेजे गए ज्ञापन में कहा कि मारुति मज़दूरों का दमन बंद करने, बीएनएसएस की धारा-163 (पूर्व धारा-144) के दुरुपयोग पर रोक लगाने; मारुति मज़दूरों पर दर्ज झूठे मुक़दमें वापस लेने, संघर्षरत मारुति के अस्थाई व बर्खास्त मज़दूरों की न्यायसंगत मांगों का तत्काल समाधान करने,टेम्परेरी वर्कर, कॉन्ट्रैकट वर्कर, स्टूडेंट ट्रेनी, ठेका, अप्रेंटिस, फिक्स टर्म,नीम ट्रेनी आदि गैरक़ानूनी प्रथा बंद करने, स्थायी काम पर स्थाई रोजगार और समान काम पर समान वेतन लागू करने,मज़दूरों के धरना-प्रदर्शन-हड़ताल करने के जनवादी अधिकार पर हमले बंद करने की मांग उठाई गई। वक्ताओं ने कहा कि मारुति सुजुकी के अस्थाई मज़दूरों ने मारुति प्रबंधन के अन्यायपूर्ण कृत्यों को उजागर करते हुए जैसे ही अपनी मांगें बुलंद कीं, जापानी सुजुकी प्रबंधन के इशारे पर हरियाणा सरकार और उसका पूरा अमला मज़दूरों के दमन पर उतर पड़ा। 30 जनवरी को ‘मानेसर चलो’ का आह्वान और शांतिपूर्ण प्रदर्शन होना था।रोकने के लिए 29 जनवरी से ही गुड़गांव का प्रशासन और भारी पुलिस बल ने विगत चार माह से आईएमटी मानेसर तहसील पर बर्खास्त मारुति मज़दूरों के चल रहे धरना स्थल को तहस-नहस करते हुए टेंट नष्ट कर दिया।
वक्ताओं ने कहा कि गुड़गांव सिविल कोर्ट ने कंपनी गेट और सीमा से 500 मीटर दूर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के श्रमिकों के अधिकार को मान्यता दी थी। इसके बावजूद प्रशासन ने मारुति प्रबंधन के इशारे पर बीएनएसएस की धारा 163 लगाकर मज़दूरों का दमन करने लगा, जो घोर निंदनीय है। श्रम अधिकारियों और कंपनी प्रबंधन के साथ त्रिपक्षीय वार्ता होनी थी। लेकिन वहां भी बीएनएसएस की धारा 163 का दुरुपयोग करके मज़दूरों पर पुलिस ने लठियाँ बरसाई गईं और गिरफ्तार करके प्रशासन ने सचेतन वार्ता भी नहीं होने दी। देश की सबसे बड़ी कार उत्पादक कंपनी मारुति 83% श्रम बल को अल्पकालिक अनुबंधों पर नियुक्त करती है। कार्य कराने की गैर क़ानूनी प्रथा जारी है। श्रमिक नेताओं ने मारूति-सुजुकी के अस्थाई तथा बर्खास्त मज़दूरों के प्रदर्शन व सभा तथा वार्ता को रोकने की कार्रवाई का कड़ा विरोध व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा में मारुति सहित तमाम कंपनियां सीमित श्रम कानूनों को भी नहीं मानती हैं। नौकरशाही कोर्ट के आदेश के खिलाफ संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। जबकि मज़दूरों के अधिकारों के मामले में सरकार पूंजीपतियों के पक्ष में नग्नता के साथ खड़ी है।
प्रदर्शन में श्रमिक संयुक्त मोर्चा के महासचिव चन्द्र मोहन लखेड़ा सीएसटीयू के केन्द्रीय महासचिव मुकुल, आइएमके के शहर सचिव दिनेश चन्द्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के शिवदेव सिंह, करोलिया लाइटिंग इम्पलाइज यूनियन के अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह आदि संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहे।