पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के साथ रह चाटी मलाई अब सत्ता का दामन थाम विधायक का बंटाधार करने में लगे
पांच साल तक गायब रहते हैं और चुनाव आते ही मीडिया मैनेजमेंट का जिम्मा थाम लेते हैं,इस समय चर्चाओं में हैं नेताजी
रुद्रपुर : कभी तराई के शेर कहें जाने वाले पूर्व स्वास्थ्य मंत्री की छत्रछाया में राजनीति का ककहरा सीख वर्षों सत्ता की मलाई चाटी। दरी, कुर्सी बिछाने के बाद पार्षद बन अपना राजनीतिक भविष्य चमका जमकर गोते लगा कर खूब सारा माल समेट लिया। जब देखा सत्ता नहीं रही तो सत्ता का दामन था पक्के राजपूत होने का संदेश दे सत्ता के विधायक का दामन थाम फिर मलाई चाटने का दौर शुरु करने वाले अब विधायक का ही बंटाधार करवाने में लग गए है।
राजनीति भी अजब रंग दिखाती है। नेताओं से मुकाबले में गिहघिट भी अपने आपको बेबस महसूस करती है। ऐसे ही एक पूर्व पार्षद आजकर चर्चा का विषय बने हुए है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री का दामन थाम राजनीति के पायदान चढ़ एकत्र की गई अकूत संपत्ति के दम पर विजनेस खड़ा कर दिया। सत्ता की गलियारे का हर दम आनंदन लेने वाले पूर्व पार्षद ने भी समय के साथ करवट ली तो गिरघिट भी शर्मा गई। जब उनको लगा तराई के शेर के अच्छे दिन बीत गए तो पाला बदल कर ऐसे अवसरवादी पूर्व पार्षद ने कांग्रेस का हाथ झटक कर कमल के फूल का दामन थाम लिया। लाइजनिंग और चाटुकारिता में महारत प्राप्त पूर्व पार्षद ने भाजपा में आते ही पार्टी नेतृत्व की गणेश परिक्रमा का ऐसा दांव खेला कि बस फिर क्या था दशकों तक भगवा केंप में समर्पण भाव से काम करने वाले निष्ठावान कार्यकर्ताओं को पीछे छोड़ इस राजनीतिक से सत्ता के गलियारों तक अपनी पैठ बना ली है। यहां तक कि वह आज कल संगठन के साथ ही विधायक के नजदीकियों में शुमार हो मीडिया मैनेजमेंट तब अपने कब्जे में ले लिया। मीडिया मैनेजमेंट संभालने का काम आपसी तालमेल बनाने का होता है, परंतु यहां भी वह अपने दांवपेंच से बाज नहीं आए और रिलेशन बनाने के स्थान पर खाई बनाने का काम शुरु कर दिया। अब देखना यह है कि उनका यह गिरघिट अंदाज निकाय चुनाव में क्या गुल खिलाता है। यहीं हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब स्थानीय निकाय चुनाव में ऐसे लंपट विकास की राह में रोड़े न अटका दें। जल्द नहीं संभली तो पांच वर्ष तक हात मलने की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।